मोहम्मद सईद
शहडोल, 31 अक्टूबर। कोयला खदान के लिए वहां की जमीन लोगों से ले ली जाती है, लेकिन उसके बाद ना तो उन्हें पर्याप्त मुआवजा दिया जाता है और ना ही उस क्षेत्र का विकास हो पाता है, इसी बात को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी है। कोल इंडिया लिमिटेड जोहिला एरिया द्वारा उमरिया जिले के ग्राम पंचायत घुलघुली और उसके आसपास के क्षेत्रों में किए जा रहे भूमि अधिग्रहण को लेकर वहां के ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है। घुलघुली बचाओ संघर्ष समिति और प्रभावित ग्रामवासियों ने कोल इंडिया के भूमि अधिग्रहण का विरोध करते हुए राज्यपाल के नाम अपर कलेक्टर को अपनी 10 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा है। घुलघुली बचाओ संघर्ष समिति और प्रभावित ग्रामवासियों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि कोल इंडिया जोहिला एरिया द्वारा किसानों की भूमि का अधिग्रहण उनकी बिना सहमति के किया जा रहा है। इस अन्यायपूर्ण प्रक्रिया के चलते किसान और ग्रामीण वर्ग गहरे असंतोष में हैं। कई बार प्रशासन को अवगत कराने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
वर्तमान बाजार दर पर मिले मुआवजा
ज्ञापन में मांग की गई है, कि जब तक प्रभावित किसानों से लिखित सहमति प्राप्त न हो तब तक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए। अधिग्रहीत भूमि का मुआवज़ा वर्तमान बाज़ार दर पर पुनर्मूल्यांकित किया जाए और जिन परिवारों की भूमि ली गई है, उनके एक सदस्य को स्थायी रोजगार दिया जाए। साथ ही, विस्थापितों को पुनर्वास नीति के तहत आवास, पेयजल, बिजली, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। ग्रामीणों ने यह भी मांग रखी है कि अधिग्रहण क्षेत्र के गांवों को खनिज मद, सीएसआर और डीएमएफ योजनाओं में प्राथमिकता दी जाए, साथ ही उत्खनन से प्राप्त लाभ का पाँच प्रतिशत राशि स्थानीय विकास पर खर्च की जाए। पर्यावरण प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में वृक्षारोपण और धूल नियंत्रण के उपाय किए जाएं तथा भूमि अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की जाए।
किसानों की जमीन ही उनकी आजीविका
जिला पंचायत सदस्य ओमकार सिंह ने कहा कि किसानों की जमीन ही उनकी आजीविका है। बिना सहमति के भूमि अधिग्रहण करना, किसानों के साथ अन्याय है। जब तक किसानों की हर मांग पर न्यायोचित निर्णय नहीं होता, हम संघर्ष जारी रखेंगे।वहीं, किसान नेता शकील खान ने कहा कि ग्रामीणों की आवाज़ अब दबाई नहीं जा सकती। हमारी 10 सूत्रीय मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। यदि प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया, तो यह विरोध और उग्र रूप लेगा। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर शीघ्र और सकारात्मक कार्रवाई नहीं की, तो वे लोकतांत्रिक तरीके से अपना आंदोलन तेज करेंगे।



 
 
 
 
 
 
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