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पुलिस आरक्षक को 10 वर्ष का कठोर कारावास और जुर्माना की सजा

 


मोहम्मद सईद

शहडोल 30 अप्रैल। पुलिस के एक आरक्षक ने थाने पहुंची युवती से मोबाइल नंबर लिया और फिर उससे बातें करने लगा। बात धीरे-धीरे प्यार में तब्दील हो गई और उक्त आरक्षक ने युवती को भरोसा दिलाया कि वह उसके साथ शादी करेगा। आरक्षक ने युवती को शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाया और फिर शादी से मुकर गया। युवती ने मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई और मामला कोर्ट पहुंच गया। 29 अप्रैल को कोर्ट ने शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध स्थापित करने वाले आरोपी पुलिस आरक्षक को 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10 हजार रूपए के जुर्माना की सजा सुनाई है। प्रकरण में अभियोजन पक्ष मध्य प्रदेश शासन की ओर से लोक अभियोजक एवं शासकीय अधिवक्ता सुरेश जेठानी द्वारा पैरवी की गई।लोक अभियोजक एवं शासकीय अधिवक्ता सुरेश जेठानी ने बताया कि विद्वान सत्र न्यायाधीश शहडोल श्री के.एन. सिंह द्वारा 29 अप्रैल को निर्णय पारित किया जाकर आरोपी ज्ञानेन्द्र सिंह स्थाई निवासी - ग्राम पाटन गोरसी थाना जैतहरी जिला अनूपपुर को आरोपित अपराध का दोषी पाते हुए धारा 376 (2) (एन) भारतीय दण्ड संहिता के तहत 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं 10 हजार रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है।

मामले में पैरवी करने वाले लोक अभियोजक एवं शासकीय अधिवक्ता सुरेश जेठानी ने बताया कि घटना इस प्रकार है कि फरियादिया अपने सम्मन के संबंध में धनपुरी थाना गई थी तो वहां पर पदस्थ अभियुक्त पुलिस आरक्षक क्रमांक 643 ज्ञानेन्द्र सिंह से उसकी जान पहचान हो गई और उसने फरियादिया का नंबर ले लिया। फिर दोनों के बीच में बातचीत होने लगी। इसके पश्चात अभियुक्त द्वारा फरियादिया से यह कहा गया कि वह अविवाहित है और उससे शादी करेगा। फिर वह अपने किराये के मकान बुढार में ले जाकर और उसके बाद कई स्थानों पर उसे ले जाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया।

फरियादिया द्वारा अभियुक्त से बार-बार शादी के लिए कहने पर अभियुक्त बहाने बना देता था और शादी नहीं करता तथा उसके साथ मारपीट की जाती थी। इसी बीच फरियादिया गर्भवती हो गई और उसे एक पुत्र हुआ। अभियुक्त की पहली पत्नी और उसके बच्चे जब किराये के मकान में रहने के लिये आए तब फरियादिया को यह जानकारी हुई कि अभियुक्त पूर्व से ही शादी-शुदा है और उसके बच्चे भी हैं। फरियादी की रिपोर्ट पर पुलिस द्वारा अभियुक्त के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया। विवेचना के दौरान प्राप्त डीएनए. रिपोर्ट से भी इस बात की पुष्टि हुई कि अभियुक्त, फरियादिया के पुत्र का जैविक पिता है। फरियादिया एवं अन्य साक्षियो के न्यायालीन कथन के आधार पर न्यायालय द्वारा यह मान्य किया गया है कि फरियादिया की साक्ष्य पर अविश्वास किए जाने का कोई कारण नहीं है। निर्णय में यह लेख किया गया है कि अभियुक्त पूर्व से विवाहित होने के नाते यह भली भांति जानता था कि फरियादिया से वह द्वितीय विवाह नही कर सकता है, इसके बावजूद भी उसने द्वितीय विवाह का झूठा आश्वासन देते हुए फरियादिया से शारीरिक संबंध हेतु सम्मति प्राप्त की। ऐसी स्थिति में यह नहीं कहा जा सकता है, कि फरियादिया शारीरिक संबंध हेतु सहमत पक्षकार थी।

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